मोदी सरकार और नई कैबिनेट

मोदी सरकार ने नई कैबिनेट का गठन कर लिया है और संसद का सत्र जल्द ही शुरू होने वाला है। हालांकि, इस बार स्थिति 2014 और 2019 से भिन्न है। अब तक, ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी को आरएसएस और पार्टी के भीतर से दबाव का सामना करना पड़ेगा। परन्तु, पहली बार, खुला दबाव विपक्ष की ओर से आ रहा है।

 

**एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट**

 

हाल ही में, एबीपी न्यूज़ ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया कि कांग्रेस जब चाहे इस सरकार को गिरा सकती है। यह बयान पिछले 10 सालों में अभूतपूर्व है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और सोनिया गांधी इस स्थिति को संभाल रहे हैं।

 

**तकनीकी और व्यवहारिक दृष्टिकोण**

 

तकनीकी दृष्टिकोण से, इंडिया गठबंधन, जिसमें कांग्रेस और अन्य दल शामिल हैं, ऐसा कर सकता है क्योंकि बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। व्यवहारिक रूप से, यह तुरंत संभव नहीं दिखता क्योंकि सरकार के सहयोगी दल टीडीपी और जेडीयू मजबूती से सरकार के साथ खड़े हैं।

 

**विपक्ष की प्रेशर पॉलिटिक्स**

 

विपक्ष का प्रेशर पॉलिटिक्स का मुख्य उद्देश्य सरकार को दबाव में रखना है। इससे पहले, विपक्ष की ऐसी भूमिका नहीं रही थी, लेकिन अब हर राज्य में बीजेपी का विरोध बढ़ता जा रहा है। गुजरात में, कांग्रेस ने क्राउड फंडिंग से सीट जीती, जो दिखाता है कि जमीन पर बीजेपी के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है।

 

**संसद का सत्र और मजबूत विपक्ष**

 

संसद का सत्र शुरू होने वाला है, और विपक्ष अब पहले से ज्यादा मजबूत है। महुआ मोइत्रा, राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी सांसद सरकार को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। सरकार के लिए फ्लोर मैनेजमेंट अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

 

**गठबंधन सरकारों की सफलता**

गठबंधन सरकारें, जैसे नरसिंह राव, वाजपेई और मनमोहन सिंह की सरकारें, देश के विकास में सफल रही हैं। ऐसी सरकारों में दबाव और जवाबदेही बनी रहती है, जो लोकतंत्र के लिए सकारात्मक है। वर्तमान स्थिति में, विपक्ष का यह दबाव मोदी सरकार को मजबूती से काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है।